मैं भी टिकटोकर -सर्वजीत Main Bhi Tiktoker - Poem by Sarvajeet D Chandra

मैं भी टिकटोकर -सर्वजीत


भूला-बिसरा सा अपना नगर

दोस्तों का मदमस्त टब्बर

अपनी अल्हड़ सी ज़िंदगी के

क़िस्से तुम्हें सुनाता हूँ

रील्ज़ के वीडियो बनता हूँ

खुद हँसता हूँ, हँसाता हूँ 


तुम्हें शायद लगे अटपटी

एक कमरे का घर, झोपड़ी

खुद अपना मखौल उड़ाता हूँ

वाइरल चाहें हो ना हो

खूब मज़े तो लगाता हूँ

अपने हुनर से बहलाता हूँ


अपना छोटा सा मोहल्ला है

यह है अपने पुरखों की ज़मीन

अपनी गली, सुख-दुःख के साथी 

मिट्टी से जुड़े क़िस्से दिखाता हूँ

सब अपने हैं, है साझा तहज़ीब

कूचे-क़स्बे की कथा सुनता हूँ 


अपने हास्य और व्यंग्य से 

घमंडी सत्ता से टकराता हूँ

शासन से डरता हूँ फिर भी 

अन्याय से भिड़ जाता हूँ 

पेट में दो रोटी हो ना हो 

कैमरे पर मुस्कुराता हूँ


नए मौसम आयें, नयी धुन से भरे

नयी तिश्नगी के गीत गाता हूँ 

इक सहर बिछी है सदियों से यहीं

उन उजालों को बाँटना चाहता हूँ

मेरी आँखों से देखो सपने तुम कभी

उन्मुक्त परिंदों से तुमको मिलवाता हूँ




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