काजोल - सर्वजीत Kajol - Hindi Poem by Sarvajeet D Chandra; अभिनेत्री काजोल से प्रेरित कविता

 काजोल

(अभिनेत्री काजोल से प्रेरित कविता)



देखा जाये तो कहने को क्या है

कहनी नही कोई प्रेम कहानी

गीत भूला सा, रोचक किस्सा

नही खट्टी-मीठी बात पुरानी


तुम चाहें सुनहरे पर्दे पर सही

कुछ बातें मुझसे भी करतीं थीं

मैं भूल जाता था तब सब कुछ

पास तुम थीं मेरे, चाहे पल भर ही


पात्र हो, मिथ्या हो शायद

ग़ज़ल हो, शायर का कलाम

भ्रम हो, जाने फिर भी कैसे

तुम्हारी खामोशी के समझूँ पैगाम


करीब लगती थी, तुम जैसे पड़ौसी

चौराहे के पास कहीं रहती हो

गलती से सही, कभी तो दिखोगी

जाड़े की धूप में ,छत पर बैठी हो


किसी युग में, किसी दुनिया में

किसी जलती अंगीठी ठण्ड में

कहीं तो संग होगा तुम्हारा

किसी सदी के, किसी बसंत में


क्यों अक्सर लगता है जैसे

तुम अतीत हो, सच्चाई हो

आया था यौवन का पहला मौसम

तुम पास थीं, फिर मिलने आयी हो













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